छत्तीसगढ़ की होली
छत्तीसगढ़ में होली के कई रंग नज़र आते हैं कुछ पारम्परिक तो कुछ परम्परा से अलग हटकर।आमतौर पर होली में होलिका दहन के दूसरे दिन रंगोत्स्व का रिवाज़ हैऔर छत्तीसगढ़ में भी इसी
रूप में होली मनायी जाती है। लेकिन यहाँ के कुछ गाँवों में होलिका दहन नहीं होता और अबीर गुलाल
से ही होली खेली जाती है।यहाँ रंग भी प्रकृति से लिये जाते हैं।यहाँ टेसू वनों की भरमार है। शिवनाथ और
महानदी के किनारे टेसू की बहार देखते ही बनती है और जंगल वे दहक ही उठते हैं। इसीलये यहाँ टेसू और केशव के फूलों से रंग बना कर होली खेली जाती है। छत्तीसगढ़ में किसबिन(वेश्या ) नाच की परंपरा भी रही है। मगर समय के साथ ये अब खत्म होती जा रही है।
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